अरावली पहाड़ों की हरियाली के बीच स्थित, माउंट आबू राजस्थान का एकमात्र लोकप्रिय हिल स्टेशन है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सुखद जलवायु के लिए जाना जाता है। यह समुद्रतल से 1722 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। माउंट आबू तपते रेगिस्तान में सुहानी ठंडक देता है , खूबसूरत झरने, झीलें, जंगल, मंदिर, दिलवाड़ा जैन मंदिर और नक्की झील सैलानियों का मन मोह लेती है जो शांत और रोमांटिक कपल्स के लिए हनीमून डेस्टिनेशन है । यहाँ सैलानियों की भीड़ लगी रहती है ।
प्राचीन इतिहास है माउंट आबू का
चंद्रावती के परमारों ने 10वीं-13वीं शताब्दी के दौरान भारत में अर्बुदा पर्वत (वर्तमान माउंट आबू) और इसके आसपास के क्षेत्र पर शासन किया। उनकी राजधानी चंद्रावती में स्थित थी, और उनके शासित क्षेत्र में वर्तमान दक्षिणी राजस्थान और उत्तरी गुजरात के कुछ हिस्से शामिल थे।
माउंट आबू का मौसम
माउंट आबू की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय नवंबर से फरवरी के बीच है जब मौसम बहुत ही सुहावना होता है। ये महीने दर्शनीय स्थलों की यात्रा और ट्रैकिंग के लिए आदर्श होते हैं, जिनमें औसत तापमान 15-30 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है।
- ग्रीष्मकाल (मार्च से जून) – तापमान मध्यम होता है और (16°C) से (30°C) के बीच होता है।
- मानसून – (जुलाई से सितंबर) – मानसून में तापमान सामान्य , सुहाना मौसम
- सर्दी – (अक्टूबर से फरवरी) – तापमान कम होता है और (0 °C) से (26°C) के बीच रहता है।
- घूमने का सबसे अच्छा समय – अक्टूबर माह से फरवरी माह तक पर्यटन के लिए सबसे अच्छा मौसम है।
माउंट आबू कैसे पहुंचे
- हवाई मार्ग – निकटतम एयरपोर्ट उदयपुर है। हवाई अड्डे से शहर तक टैक्सियाँ उपलब्ध हैं।
- रेल द्वारा – निकटतम रेलवे स्टेशन माउंट आबू है जो मुंबई और दिल्ली के बीच की लाइन पर है। यह शहर से 25 किलोमीटर दूर है और टैक्सियों के माध्यम से जुड़ा हुआ है।
- सड़क मार्ग द्वारा – माउंट आबू को भारत के अन्य हिस्सों से जोड़ने वाले विभिन्न राष्ट्रीय और राज्य राजमार्ग हैं।
माउंट आबू के खूबसूरत स्थान
1. नक्की झील
नक्की झील माउंट आबू का एक सुंदर पर्यटन स्थल है। मीठे पानी की यह झील जो राजस्थान की सबसे ऊंची झील हैं यह राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित हैं । टॉड रॉक व नन रॉक नक्की झील की मुख्य चट्टाने है। यह सर्दियों में अक्सर जम जाती है। कहा जाता है कि एक देवता ने अपने नाखूनों से खोदकर यह झील बनाई थी। इसीलिए इसे नक्की (नख या नाखून) नाम से जाना जाता है। झील से चारों ओर के पहाड़ियों का दृश्य अत्यंत सुंदर दिखता है। इस झील में नौकायन का भी आनंद लिया जा सकता है। नक्की झील के दक्षिण-पश्चिम में स्थित सूर्यास्त बिंदू से डूबते हुए सूर्य के सौंदर्य को देखा जा सकता है। यहाँ से दूर तक फैले हरे भरे मैदानों के दृश्य आँखों को शांति पहुँचाते हैं। सूर्यास्त के समय आसमान के बदलते रंगों की छटा देखने सैकड़ों पर्यटक यहाँ आते हैं। प्राकृतिक सौंदर्य का नैसर्गिक आनंद देनेवाली यह झील चारों ओऱ पर्वत शृंखलाओं से घिरी है।
2. देलवाड़ा जैन मंदिर
देलवाडा मंदिर पाँच मंदिरों का एक समूह है यह राजस्थान के सिरोही जिले के माउंट आबू में स्थित हैं। इन मंदिरों का निर्माण ग्यारहवीं और तेरहवीं शताब्दी के बीच हुआ । यह उत्कृष्ट मंदिर जैन धर्म के र्तीथकरों को समर्पित हैं। देलवाड़ा के मंदिरों में ‘विमलशाही मंदिर’ प्रथम र्तीथकर को समर्पित सबसे प्राचीन है जो 1031 ई. में बना । बाईसवें र्तीथकर नेमिनाथ को समर्पित ‘लुन वासाही मंदिर’ भी काफी प्रसिद्ध है। यह मंदिर 1231 ई. में वास्तुपाल और तेजपाल नामक दो भाईयों द्वारा बनवाया गया था। देलवाड़ा जैन मंदिर परिसर में पांचवा मंदिर मार्बल का है। मंदिरों के लगभग 48 स्तम्भों में नृत्यांगनाओं की आकृतियां बनी हुई हैं। देलवाड़ा के मंदिर और मूर्तियां वास्तु और स्थापत्य कला का उत्तम उदाहरण हैं।
3. गुरु शिखर
गुरु शिखर , राजस्थान में सिरोही जिले के अर्बुदा पर्वत की एक चोटी है , जो राजस्थान और पश्चिमी भारत का टॉप है। इसकी ऊंचाई 1,722 मीटर (5,650 फीट) है। माउंट आबू से 15 किमी दूर है और वहां से एक सड़क लगभग पहाड़ की चोटी तक जाती है। भगवान विष्णु के अवतार दत्तात्रेय के नाम पर इसका नाम ‘गुरु का शिखर’ रखा गया है ,और शिखर पर एक गुफा में अत्रि ऋषि का एक मंदिर है, साथ ही एक गुफा उनकी मां, ऋषि की पत्नी अनुसूया का मन्दिर है।
4. टॉड रॉक
माउंट आबू में नक्की झील के दक्षिण में स्थित, टॉड रॉक एक विशाल चट्टान का टुकड़ा है जो झील के पानी में कूदने वाले एक मेंढक की तरह दिखता है। माउंट आबू के शुभंकर के रूप में जाना जाने वाला यह स्थान सभी सैलानियों के यात्रा कार्यक्रम में सबसे अधिक बार आने वाले स्थानों में से एक है। झील और हरे-भरे पहाड़ी क्षेत्रों की मनोरम सुंदरता को देखने के लिए आप चट्टान पर चढ़ सकते हैं और मनमोहक दृश्यों को कैद कर सकते हैं।
टॉड रॉक का रास्ता नक्की झील के पास से शुरू होता है और टॉप पर 250 सीढ़ियाँ चढ़ना शामिल है। यह रास्ता हरे-भरे हरियाली से घिरा हुआ है, जो एक शानदार सैर का अनुभव कराता है, हालांकि कुछ लोगों को यह डराने वाला लग सकता है। बूढ़े लोगों और बच्चों के लिए इस पर चढ़ने की सलाह नहीं दी जाती है।
5. माउंट आबू वन्यजीव अभयारण्य
माउंट आबू वन्यजीव अभयारण्य में आप जंगली जानवरों की कुछ दुर्लभ और विदेशी प्रजातियों को देख सकते है ,जिनमें भारतीय लोमड़ी, पैंगोलिन, ग्रे जंगल फाउल, धारीदार लकड़बग्घा और भारतीय तेंदुआ भी शामिल है। समृद्ध वनस्पतियों से युक्त यह स्थल प्रकृति प्रेमियों का आकर्षण का केंद्र है।
6. अचलगढ़
अचलगढ़ किला मेवाड़ के प्रतापी महाराणा कुंभा द्वारा निर्मित करवाया गया जो देलवाडा जय मन्दिर से 8 किमी उत्तर पूर्व में यह क़िला और मंदिर स्थित हैं। अचलगढ़, पूर्व मध्यकाल में मालवा के परमारों की राजधानी रहा है।
7. अचलेश्वर महादेव मंदिर
क्षत्रियों के इष्टदेव अचलेश्वर महादेव का प्राचीन मन्दिर महाराणा कुंभा द्वारा निर्मित अचलगढ़ में ही है। पहाड़ी के तल पर 15वीं शताब्दी में बना अचलेश्वर मंदिर है भगवान शिव को समर्पित है। यहाँ भगवान शिव के पैरों के निशान हैं। नज़दीक ही 16वीं शताब्दी में बने काशीनाथ जैन मंदिर भी हैं। नज़दीक ही 16वीं शताब्दी में बने काशीनाथ जैन मंदिर भी हैं। अचलगढ़ से प्राप्त एक शिलालेख से आबू के परमारों एवं सोलंकियों के इतिहास का अभिज्ञान होता है।
8. पीस पार्क
माउंट आबू में पीस पार्क ब्रह्माकुमारीज़ आध्यात्मिक प्रतिष्ठान का एक हिस्सा है। यह पार्क शहर की व्यस्त जिंदगी से शांति पाने के लिए एक आदर्श स्थान है। इस खूबसूरत पार्क में आपको शांति और शांति का अनुभव होगा। गुरु शिखर और अचलगढ़, दो अरावली चोटियों के बीच स्थित, यह पार्क आपको शांति और आध्यात्मिकता की दुनिया में ले जाएगा। पार्क के अंदर, एक साइट्रस और एक ऑर्किड कॉर्नर है, एक रॉक गार्डन है जिसमें विभिन्न प्रकार के रसीले और पुष्प प्रदर्शन हैं।
आप पीस पार्क के हर हिस्से को देख सकते है। आप राजयोग की प्रथाओं को प्रदर्शित करने वाला एक छोटा वीडियो देखने का विकल्प भी चुन सकते हैं या योग करने का प्रयास कर सकते हैं। पार्क में कई जगहें हैं जहां आप ध्यान कर सकते हैं, जैसे पत्थर की गुफा और बांस की ध्यान झोपड़ी आदि । पार्क ध्यान और आध्यात्मिकता तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें पिकनिक क्षेत्र और खेल के मैदान भी हैं।
9. ट्रेवर टैंक
ट्रेवर टैंक सिरोही के तत्कालीन महाराजाधिराज महाराव केसरी सिंहजी बहादुर ने करवाया। जिसका निर्माण वर्ष 1897 ई. में तत्कालीन प्रसिद्ध ब्रिटिश इंजीनियर कर्नल जीएच ट्रेवर की देख-रेख में किया गया। ट्रेवर टैंक मूल रूप से एक विशाल मानव निर्मित जलाशय है। ट्रेवर टैंक माउंट आबू का एक खूबसूरत स्थान है जो प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग है। यह शहर से 5 किमी दूर है। इसे एक छोटे वन्यजीव अभयारण्य में बदल दिया। यह स्थान क्षेत्र के लिए उपयुक्त विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों और जीवों का निवास स्थान है।
इस ट्रेवर टैंक में बड़ी संख्या में मगरमच्छ रहते हैं। इस टैंक का उपयोग वर्तमान में सरकार द्वारा वन्यजीव संरक्षण परियोजना के रूप में मगरमच्छ प्रजनन के लिए किया जा रहा है। यहाँ सप्ताहांत पर यहां काफी पर्यटक आते है। यह स्थान सेल्फ़ी लवर और फोटोग्राफरों के लिए स्वर्ग है, जो हरियाली का अद्भुत सुन्दर दृश्य प्रदान करता है।
10. सनसेट पॉइंट और सनराइज पॉइंट
माउंट आबू का सबसे खूबसूरत नजारा है सूर्योदय और सूर्यास्त का व्यू । यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त होने का खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है। इस जगह को सनसेट पॉइंट और सनराइज पॉइंट के नाम से जाना जाता है। सुबह और शाम का यह दृश्य देखने लायक होता है।
11. गोमुख मंदिर
गोमुख मंदिर माउंट आबू में स्थित है। इस मंदिर में एक गाय की प्रतिमा बनी हुई है, जिसके मुंह से निरंतर पानी निकलता है। इस का आज तक कोई पता नहीं लगा पाया कि आखिरकार यह पानी आता कहां से है। इसी वजह से इस मंदिर का नाम गोमुख मंदिर रखा गया है। इसके अलावा इस मंदिर में सर्प की विशाल प्रतिमा और संगमरमर से बनी नंदी की प्रतिमा है जो आकर्षण का केन्द्र हैं।
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