हरिद्वार (Haridwar) के दर्शनीय स्थल को देख ईश्वर की अनुभूति होती है
हरिद्वार Haridwar – वो पुण्यभूमि है जिसे हरि का द्वार कहा जाता है। राजा भागीरथ ने पतित पावनी पुण्य सलिला मां गंगा को भगवान शिव और विष्णु के द्वारा धरती पर अवतरित करवाया। गंगा की अविरल धारा न केवल तन , मन को पवित्र करती है बल्कि यह हमारी वसुधा को हरित , पल्लवित और पुष्पित करती हुई हमारा पोषण करती है । सनातन संस्कृति एवं शास्त्रों के अनुसार हरिद्वार वह स्थान है जहां समुद्र मंथन के समय निकला अमृत भगवान धनवंतरी के हाथों से कुछ बूंदे धरती पर गिर गई थी। उज्जैन , नासिक , प्रयाग और हरिद्वार इन चारों स्थानों पर बारी – बारी से हर बारहवें वर्ष महाकुंभ का आयोजन होता है।