Udaipur उदयपुर
UDAIPUR उदयपुर – भक्ति और शक्ति की भूमि , झीलों की नगरी और पूर्व का वेनिस के नाम से प्रसिद्ध उदयपुर , दुनिया के सबसे खूबसूरत शहरों में शामिल है | यहाँ के कण – कण में बप्पा रावल से लेकर महाराणा प्रताप का शौर्य व बलिदान की महक है | यहाँ की खूबसूरत झीले , महलों की भव्यता , स्थापत्य एवं वास्तु बेजोड़ है |
अरावली की उपत्यकाओं के बीच बसा Udaipur उदयपुर-मेवाड़ के अधिष्ठाता भगवान एकलिंगनाथ , भगवान श्री नाथजी नाथद्वारा का मन्दिर , वीरों की भूमि चित्तौड़गढ़ , वीरों के खून से सींची हल्दीघाटी , अजेय एवं अभेद्य दुर्ग कुम्भलगढ़ , एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील – जयसमंद आदि की खूबसूरती के कारण विश्व प्रसिद्ध है | उदयपुर- वेडिंग डेस्टिनेशन , हनीमून डेस्टिनेशन और टुरिस्ट के कारण दुनिया में प्रसिद्ध है | आप भी Udaipur उदयपुर आकर अपने ट्रिप को यादगार बना सकते है |
1. City Palace सिटी पैलेस
पिछोला झील के किनारे बना यह महल बड़ा और भव्य है , महलों का स्थापत्य बेजोड़ है | मेवाड़ के महाराणाओ का निवास स्थान भी है | वर्तमान में इसी महल में मेवाड़ की रॉयल फेमिली रहती है | यहाँ म्यूजियम में महाराणा प्रताप के जिरह -बख्तर ,भाला , तलवार आदि देखकर अपने आप को गौरवान्वित महसूस करेंगे | इस महल की भव्यता का वर्णन आप देख कर ही कर सकते है , इसे लिखा नहीं जा सकता |
2. Lake Palace लेक पैलेस
लेक पैलेस का निर्माण महाराणा जगत सिंह जी ने 1743 में करवाया , यह खूबसूरत महल पिछोला झील में स्थित है | इसका स्थापत्य और शिल्प बहुत ही सुन्दर है और यह पैलेस दुनिया के खूबसूरत महलों में गिना जाता है | इस पैलेस में सुन्दर स्तम्भ, आँगन ,गार्डन ,फव्वारे इसके सौन्दर्य को बढ़ाते है | इस महल के कमरे गुलाबी पत्थर शीशे , मेहराब और हरे कमल के पत्तों से सजे है , इसमे बड़ा महल ,फूल महल ,कुश महल ,ढोला महल और सज्जन निवास जैसे कई अपार्टमेंट के साथ स्विमिंग पूल और कांफ्रेंस हॉल भी है | वर्तमान में इसमे फाइव स्टार होटल है |
3. Jagdish Mandir जगदीश मन्दिर
उदयपुर के सिटी पेलेस के पास ही प्रसिद्ध जगदीश मन्दिर भगवान विष्णु का सुन्दर मन्दिर है | इस मन्दिर को मेवाड़ के महाराणा जगत सिंह जी द्वारा बनाया गया है , यहाँ आकार आप आलौकिक आनंद की अनुभूति करेंगे | यह मन्दिर शहर की आस्था का प्रमुख केंद्र है | इस मन्दिर में भगवान गणेश , भगवान सूर्य , शिव -पार्वती की भी सुन्दर मूर्तिया है | जगदीश मन्दिर का स्थापत्य और वास्तु सुन्दर है |
मन्दिर में भगवान विष्णु की काले पत्थर की चतुर्भुज सुन्दर मूर्ति है , यह तीन मंजिला है | पहली और दूसरी मंजिल पर कलात्मक 50 स्तम्भ के साथ इसके शीर्ष की ऊंचाई 79 फिट है , इसके प्रवेश द्वार पर पत्थर के दो विशाल गजराज की प्रतिमाएं स्थापित है , गरुड की प्रतिमा भी सुन्दर है |
4. Fateh Sagar Lake फतह सागर झील
विश्व प्रसिद्ध उदयपुर को झीलों की नगरी भी कहा जाता है | मेवाड़ के महाराणा फतेहसिंह जी द्वारा निर्मित फतह सागर झील उदयपुर के खूबसूरत स्थलों में से एक है | इसमे आप नाव और जेटी का आनन्द ले सकते है, इसके चारों ओर रिंग रोड बनी हुई है | इस खूबसूरत झील पर आकर सकुन महसूस करेंगे , फतह सागर के बीच नेहरू गार्डन जाकर भी आप एकांत के पल गुजार सकते है | इसकी पाल पर सुन्दर कलात्मक छतरियाँ बनी हुई है जहा आप बैठ कर आनन्द ले सकते है | यहाँ आप रेस्टोरेन्टों में स्वादिष्ट भोजन का आनन्द ले सकते है |
5. Saheliyon Ki Bari सहेलियों की बाड़ी
फतह सागर झील के किनारे सुन्दर सहेलियों की बाड़ी का निर्माण महाराणा संग्रामसिंह जी ने रानियों और उनकी सहेलियों के लिए बनवाया था | यहाँ कलात्मक छतरियाँ , पानी के फव्वारे , रंग – बिरंगे फूल देख कर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है | उदयपुर आने वाले पर्यटकों के घूमने के लिए यह ग्लैमरस डेस्टिनेशन है |
6. Gulab Bag गुलाब बाग
मेवाड़ के महाराणा सज्जनसिंह जी ने गुलाब बाग का निर्माण सन् 1850 में कराया | इसे सज्जन निवास गार्डन भी कहा जाता है | करीब 100 एकड़ में फैला यह गार्डन राजस्थान का सबसे बड़ा गार्डन है | इसमे एक छोटा चिड़ियाघर भी है जिसमे तेंदुए ,चिंकारा और पक्षियों को रखा गया है | बच्चों के लिए टॉय ट्रेन भी है |
इस गार्डन में महाराणा फतहसिंह जी ने सरस्वती भवन नाम का एक पुस्तकालय बनाया , जिसमे इतिहास , पुरातत्व और अन्य विषयों से संबंधित पुस्तके है | गार्डन में विक्टोरिया हॉल म्यूजियम में प्राचीन वस्तुओं , मेवाड़ के राजपरिवार का अनूठा संग्रह है | आप सुबह या शाम को इसकी सैर कर सकते है |
7. Jag Mandir Palace जग मन्दिर पैलेस
जग मन्दिर पैलेस , उदयपुर के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है , जिसे महाराणा कर्णसिंह जी ने बनवाया था और इसे शहर का सबसे सुन्दर स्थान माना जाता है | एक गुंबदाकार छत वाला महल जगमंदिर का मुख्य स्थान है , जिसे गोल महल कहते हैं। शहजादा खुर्रम ( शाहजहां ) ,अपने पिता जहांगीर से विद्रोह कर कुछ समय के लिए यहीं गोल महल में शरण ली थी ।
आगरा के प्रसिद्ध ताजमहल की निर्माण शैली को कुछ विद्वान् इस इमारत से ही प्रभावित मानते हैं। इसके गुम्बद में पत्थर की पच्चीकारी का काम है और महल के सामने एक विशाल चौक है, जिसके मध्य में एक बड़ा हौज़ बना हुआ है। महाराणा संग्रामसिंह द्वितीय ने बाद में अपने समय में इसमें कई अन्य हिस्सों का निर्माण करवाया था। एक बहुत बड़े बगीचे के निर्माण हो जाने से इस महल की ख़ूबसूरती और भी बढ़ गई है।
8. Moti Mangari मोती मंगरी
महाराणा प्रताप की प्रतिमा 11 फीट ऊंची है, जिसका वजन 7 टन है। इसे 1948 में महाराणा भगवत सिंह जी ने बनवाया था। फतह सागर के किनारे पहाड़ी पर राष्ट्रवीर हिंदुआ सूरज महाराणा प्रताप आश्वारूढ़ प्रतिमा है जिन्होंने अकबर को हल्दीघाटी युद्ध में धूल चटा दी | प्रत्येक शाम को यहाँ लाइट एण्ड साउंड शो होता है , यहाँ आकर आप गौरवान्वित महसूस करेंगे |
9. Bharatiya Lok Kala Mandal भारतीय लोक कला मण्डल
भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर की स्थापना वर्ष 1952 में देवीलाल सामर द्वारा की गयी थी। जिसमें राजस्थान के चकरी, कालबेलिया, ढफ नृत्य, गुजरात से राठवा, गरबा आदि का रंगारंग कार्यक्रम होता है | यहाँ कठपुतली का शो भी मोहक होता है |
10. Shilpgram शिल्पग्राम
शिल्पग्राम उदयपुर से मात्र तीन किमी दूर हवाला गाँव में स्थित है | यहाँ पूरे देश की संस्कृति और शिल्प कला का अनूठा संगम है | यहाँ देश के सभी राज्यों की हस्तकला , पारंपरिक नृत्य एवं खेल का आप नजदीक से लुफ्त उठा सकेगे | आप ओपन रंगमच पर भी कला एवं नृत्य आदि देख सकते है |
11. The Monsoon Palace सज्जनगढ़ पैलेस
मेवाड़ के महाराणा सज्जनसिंह जी द्वारा निर्मित सज्जनगढ़ पेलेस , शहर के उत्तर पश्चिम में अरावली की उपत्यकाओं के एक ऊंचे पहाड़ पर स्थित है। ऊंचाई पर बने होने के कारण इस महल से पूरे उदयपुर की सुन्दरता आप देख सकते है।शाम के समय आप यहाँ से सनसेट का सुन्दर दृश्य देख सकते है | मानसून के समय इस महल से बादलो के छूने से इसे मानसून पेलेस भी कहा जाता है | यह स्थान शहर का ग्लैमरस डेस्टिनेशन है | इसके पास ही सज्जनगढ़ वन्यजीव अभ्यारण है वहाँ आप वन्यजीवों को भी विचरते देख सकते है |
12. Sukhadia Circle सुखाड़िया सर्कल
सुखाड़िया सर्कल उदयपुर के पंचवटी क्षेत्र में स्थित है | सर्कल के बीच में सुन्दर मनमोहक फव्वारा लगा हुआ है , जो शाम के समय शांति और सकुन देता है | यहाँ आप स्वादिष्ट पानीपुरी ,भेल आदि का लुफ्त उठा सकते है |
13. Lake Pichhola लेक पिछोला
पिछोला झील उदयपुर शहर के केंद्र में स्थित पिछोला झील एक कृत्रिम झील है। पिछोला झील उदयपुर शहर की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी झीलों में से एक है। पिछोला झील अपनी शांति और सुंदरता के कारण यहां आने वाले लाखों पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करती है।इसी झील में लैक पैलेस होटल और जग मन्दिर पैलेस स्थित है
पहाड़ियों, ओर ऐतिहासिक इमारतों, खूबसूरत घाटों से घिरा यह स्थान शांति और प्रकृति प्रेमियों के लिए यह एक बेहद खुबसूरत जगह है। अगर आप पिछोला झील घुमने जा रहे हैं, तो नाव की यात्रा अवश्य करे क्योकि इस झील की यात्रा यहाँ नाव की सवारी के बिना अधूरी है।
14. Gangaur Ghat गणगौर घाट
पिछोला झील के किनारे बना गणगौर घाट बेहद सुन्दर है। मेवाड़ में गणगौर के इस घाट पर विसर्जन के कारण इसे गणगौर घाट कहते है | यहाँ आप झील के सौन्दर्य का लुफ्त उठा सकते है | यह एक घाट है साथ ही इस घाट के नजदीक जगदीश चौक , बागोर की हवेली आदि दर्शनीय स्थल है |
15. Doodh Talai दूध तलाई
पिछोला झील के पास ही दूध तलाई झील एक सुंदर तालाब है। चारों ओर अरावली की अद्भुत पहाड़ियों से घिरी यह झील पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है । शाम के समय शांत पिछोला और दूध तलाई की झील का अद्भुत दृश्य दिखाई देता है।
पहाड़ी पर स्थित करणी माता जी का पवित्र मन्दिर , पं. दीन दयाल उपाध्याय पार्क, माणिक्य लाल वर्मा उद्यान , इसके अलावा इसमें सनसेट पॉइंट और आसपास के शानदार दृश्य और संगीतमय फव्वारा देखने लायक है ।
16. Badi Lake बड़ी झील
मेवाड़ के महाराणा राजसिंह जी ने अपनी प्रजा के पेयजल और किसानों के लिए 15 किमी दूर बड़ी गाँव में झील का निर्माण करवाया , जिसमे सुन्दर कलात्मक छतरियाँ एवं सुन्दर 18 मीटर चोडी पाल है | झील के बीच टापू पर एक सुन्दर पहाड़ी है | आजकल यह स्थान प्री – वेडिंग शूट और कपल्स के लिए विशेषकर युवाओ के आकर्षण का केंद्र है |
17. Ahar Cenotaphs आहड़ सभ्यता
राजस्थान के दक्षिण और पूर्व में आहड़ नदी के किनारे 3000 ईसा पूर्व से 1500 ई तक एक नगरीय सभ्यता थी | जिन्हें आहड़ ताम्र पुरातात्विक संस्कृति कहा गया, इसे बनास संस्कृति भी कहा जाता हैं. यह सिन्धु घाटी सभ्यता की समकालीन सभ्यता थी. वर्तमान में उदयपुर जिले में स्थित आहड़ दक्षिणी पश्चिम राजस्थान की कांस्ययुगीन संस्कृति का मुख्य केंद्र था | यहाँ पर आप प्राचीन सभ्यता को देख सकते है |
18. Bagore Ki Haveli बागोर की हवेली
उदयपुर में स्थित बागोर की हवेली पिछोला झील के किनारे गणगौरी घाट पर स्थित है | मेवाड़ के महाराणा ने अठारवी शताब्दी में मेवाड़ के मंत्री अमरचंद बड़वा की देख रेख में इसका निर्माण करवाया | इसका महाराणा प्रताप सिंह द्वितीय, राज सिंह II, अरी सिंह, और हमीर सिंह ने क्रमशः इस हवेली का निर्माण किया। सन् 1878 में,,बागोर के महाराज शक्ति सिंह जी ने हवेली का विस्तार किया और ट्रिपल-धनुषाकार प्रवेश द्वार का निर्माण किया | इस हवेली में 138 कमरे, साथ ही कई गलियारे और बालकनी, आंगन और छज्जे हैं।
19. Pratap Gorav Kendra प्रताप गौरव केंद्र
प्रताप गौरव केंद्र ” राष्ट्रीय तीर्थ ” एक नया दर्शनीय स्थल है जो उदयपुर में स्थित है इसका आरम्भ वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप समिति ने किया था, जिसका लक्ष्य यह रखा गया कि हिंदुआ सूरज महाराणा प्रताप और मेवाड़ के बारे में आने वाले पर्यटकों को ऐतिहासिक जानकारी उपलब्ध हो सके | समस्त भारतवर्ष की सांस्कृतिक एकता के भी दर्शन करवाता है, जिससे उनमे भारत भक्ति की भावना पैदा हो |
20. Udaipur Solar Observatory सौर वैधशाला
उदयपुर सौर वेधशाला को एशिया का सर्वश्रेष्ठ सौर अवलोकन स्थल है, जो अंतरिक्ष में होने वाली गतिविधियों के अवलोकन के लिए डॉ. अरविन्द भटनागर ने सन् 1975 में की | यह फतहसागर के एक टापू पर स्थित है | इस वेधशाला को दक्षिणी कैलिफोर्निया में बिग बीयर झील में सौर वेधशाला के मॉडल के अनुसार डिजाइन किया गया था।
21. Eklingji Tample एकलिंगजी मन्दिर
मेवाड़ के अधिष्ठाता भगवान एकलिंगनाथ जी का मन्दिर शहर से 22 किमी दूर कैलाशपुरी में स्थित है | मेवाड़ के संस्थापक बप्पा रावल ने 8वीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण करवाया और एकलिंगजी की मूर्ति की प्रतिष्ठापना की थी। वर्तमान मंदिर का निर्माण महाराणा रायमल ने 15वीं शताब्दी में करवाया था। इस परिसर में कुल 108 मंदिर हैं। मुख्य मंदिर में एकलिंगजी की चतुर्मुख वाली मूर्ति स्थापित है। यह मन्दिर शिव भक्तों के आस्था का केंद्र है | यह चमत्कारी मूर्ति है , मन्दिर का स्थापत्य और कला बेजोड़ है | पास में इन्द्र सरोवर है |
22. Nathadwara Temple नाथद्वारा
जब भारत में दुष्ट शासक ओरंगजेब मंदिरों को नष्ट कर रहा था तो ओरंगजेब को चुनौती देते हुए मेवाड़ के महाराणा राजसिंह जी ने तत्कालीन सिंहाड़ गाँव में स्थापित किया जिसे आज नाथद्वारा कहते है |
जब औरंगजेब ने हिंदू मंदिरों को ध्वस्त करने का आदेश दिया तो वहाँ के महंत इस दिव्य मूर्ति को लेकर वृंदावन से वाया जयपुर, मारवाड़ पहुंचे। तत्कालीन महाराजा ने श्रीनाथ जी को चौपासनी में रुकवाया। फिर सुरक्षा की दृष्टि तत्कालीन पाटोदी(बाड़मेर) ठाकुर ने बीड़ा उठाया और श्रीनाथ जी को पाटोदी ले पधारे। छ माह तक श्रीनाथ जी पाटोदी बिराजे। इस तरह श्रीनाथ जी का पाटोदी से बहुत गहरा संबंध है। जब बात लीक हो गई तो महंत जी ने मेवाड़ का रुख किया। कोठारिया के ठाकुर और महाराणा राजसिंह जी मेवाड़ ने अपने प्राणों पर खेल कर श्रीनाथ जी को नाथद्वारा में स्थापित कर दिया।
23. Haldighati हल्दीघाटी
यदि आप शौर्य एवं बलिदान की भूमि देखना चाहते है तो एक बार हल्दीघाटी अवश्य देखनी चाहिए | हल्दीघाटी का स्वतंत्रय महायुद्ध मेवाड़ इतिहास का स्वर्णिम अध्याय हैं। मेवाड़ के इस गरिमामय धरा के योद्धाओं ने हमेशा तीर – तलवारों की चमचमाहट और तोपो की गर्जनाओं में अपनी स्वाधीनता की रक्षार्थ तपते रहकर शोर्यपरक संघर्ष से राष्ट्रीय चेतना की मशाल को प्रदीप्त रखा है।
महाराणा प्रताप के नेतृत्व में लड़े गए हल्दीघाटी युद्ध में इस धरती का कण कण क्षत्रिय और क्षत्रियेत्तर जातियों के योद्धाओं के खून से लाल होकर मानव शौर्य का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करता है। मेवाड़ के महाराणा और जन जन अपनी धरा, धर्म की रक्षार्थ चौदह सौ वर्षो पर्यन्त विदेशी आक्रांताओं से लोहा लेते रहें हैं
24. Kumbhalgarh Fort कुम्भलगढ़ फोर्ट
कुम्भलगढ़ – एक गौरवशाली इतिहास, जिसका एक – एक पृष्ठ वीरता, शौर्य, त्याग, समर्पण, बलिदान और विजय की गाथा से अंकित है। जिसका एक – एक स्थान अपने मे अद्भुत स्मृतियां संजोए है। और जिसका एक – एक भवन, मन्दिर, प्रासाद, खंडहर, वन – प्रान्तर, गिरी – गहवर, पर्वत – घाटियां और माटी का एक – एक कण आज भी कीर्ति गाथा सुना रहा है। उसी मेवाड़ का कुंभलगढ़ (Kumbhalgarh) – अभेद्य दुर्ग , मेवाड़ के स्वाभिमान की याद दिला रहा है।
मेवाड़ का मुकुट कुंभलगढ़ (Kumbhalgarh) अभेद्य दुर्ग है। आज भी गर्व से सिर ऊंचा किए हुए मेवाड़ के स्वाभिमान की याद दिला रहा हैं। यह वह ऐतिहासिक स्थल है, जिसका निर्माण महाराणा कुम्भा ने करवाया। यहीं वह शौर्य भूमि है, जिसने महाराणा उदय सिंह जी को आश्रय देकर मेवाड़ को पुन: संगठित कर शत्रुओं से लोहा लेने का सामर्थ्य उन्हें प्रदान किया।
25. Jaisamand Lake जयसमंद झील
उदयपुर के तत्कालीन महाराणा जयसिंह जी द्वारा निर्मित एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी की खूबसूरत कृत्रिम झील है | सन् 1687 से 1691 ईसवी के मध्य गोमती नदी पर निर्मित इस झील में नौ 9 नदियाँ और निन्यानवे 99 नाले गिरते हैं। महाराणा जयसिंह जी ने पेयजल और किसानों के हित के लिए जयसमंद निर्माण से आज उदयपुर और आसपास के क्षेत्र में पेयजल और हजारों किसान खेती करते है | जयसमन्द झील को गुजरात में ढेबर झील भी कहते है ।
स्थापत्य कला की दृष्टि से बना बाँध अपने आप में आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। झील की पाल पर बनी छह खूबसूरत छतरियाँ पर्यटकों का मन मोह लेती हैं। गुम्बदाकार छतरियाँ पानी की तरफ़ उतरते हुए बनी हैं। इन छतरियों के सामने नीचे की ओर तीन-तीन बेदियाँ बनाई गई हैं। सबसे नीचे की बेदियों पर सूंड़ को ऊपर किए खड़ी मुद्रा में पत्थर की कारीगरी पूर्ण कलात्मक मध्यम कद के छह हाथियों की प्रतिमा बनाई गई है। यहीं पर बाँध के सबसे उँचे वाले स्थान पर महाराणा जयसिंह द्वारा भगवान शिव को सर्मपित ‘नर्मदेश्वर महादेव’ का कलात्मक मंदिर भी बनाया गया है।
एशिया की संभवत सबसे बड़ी कृत्रिम झील बाँध के उत्तरी छोर पर महाराणा फतहसिंह द्वारा निर्मित महल है, जिन्हें अब विश्रामगृह में तब्दील कर दिया गया है। दक्षिण छोर की पहाड़ी पर महाराणा जयसिंह जी द्वारा बनाए गए महल का जीर्णोद्धार महाराणा सज्जनसिंह जी के समय कराया गया था।
एक बार Udaipur उदयपुर आइए और अपने tour को Enjoy कीजिए |
1 thought on “25 Glamours Places To Visit In Udaipur उदयपुर के 25 ग्लैमरस स्थल”